नारद: सेहतमंद, दौलतमंद और अक़्लमंद बनने का साइंटिफिक मैथड

Wednesday, March 27, 2013

सेहतमंद, दौलतमंद और अक़्लमंद बनने का साइंटिफिक मैथड


भाईयों हर आदमी आज  टकाटक, फटाफट अमिर बनना चाहता है, इसके लिए की पूजा करता है, कोई नमाज पढता है, और कुछ बिदेशी धन से अपनी  डाक्टरीयत झाड़ते हैं. कुछ हम जैसे भी है जो सुबह सुबह उठ के पार्क में जा के  सेहत चूसते है, धन के लिए आफिस जाना होता है, अक्ल के लिए अच्छे अक्लमंद लोगो के साथ कुछ अक्लमंद लोगो के लेख पढ़ते है, और यही हमें बचपन से सिखाया  भी गया, "जिसका जैसा संग, वैसा होगा मन". 

यदि पूजा पाठ और नमाज से लोग आमिर बनते तो मंदिर का पंडा और मस्जिद क मुल्ला धीरुभाई  के साथ उठाना बैठना होता, अलबत्ता मैं तो यही जाना है की ये सब बस  माध्यम  है जहाँ अच्छे लोग पाए जा सकते हैं , लेकिन कुछ लोग इन सब की आड़ में  अपने बिदेशी पैसे का हक़ अदा करते हैं. यदि कोई तर्क दे की नियम पूर्वक नमाज पढने की आदत से लोग सुबह उठते हैं  जिससे लोग आमिर बनते है तो हसी आती है,  ये चोरो के लिए की एक अच्छी बात हो सकती है. '

क्योकि एक शातिर चोर रात के अंतिम बेला, और ब्रम्हा मुहूर्त में उठ भगवान्/ अल्लाह का नाम ले  पैसे से परिपक्व घर को चुनता है, मौका लगा तो हाथ साफ़ कर कुछ दिन का आमिर बन जाता है, फिर इश्वर को साधुवाद  देता है.  यदि इस  प्रकार का फायदा है तो ला हौल बिला कुवद. 

मेरा एक मित्र था, वह नियम पूर्वक  सुबह सुबह उठ, सड़क पर खड़ा हो तमाम आने जाने वाली महिलाओ को ताका करता था पूछने पर पता चला की "उस्किवाली " उस नियत समय पर उसी रास्ते से आती जाती है, जिसको देख वह "फील गुड " करता है, और उसका चेहरे और दिल का  स्वास्थ्य अच्छा होता है. 

सब मिला के  विदेशी पैसे के एक  विदेशी धर्म एक्सपर्ट मूर्खा वन्दनीय  श्री श्री धमालेशवर महाराज जी के, कहने के मतलब था सुबह उठो, लेकिन इसका श्रेय का कनेक्शन "लेखक मोहम्मद" के एक टाइम टेबल नुमा पुस्तक से जोड़ कर निचोड़ निकाला की सुबह उठो या मत उठो इस टाइम टेबल का फालो करो अब चुकी ये टाइम टेबल बिदेशी है तो उम्दा है वैसे भी लोग भारत में बिदेशी चीजो का बहुत क्रेज है चाहे सरकार की अध्यक्षा  हो या टाईम टेबल या टाइम टेबल के मानने वाले एक शब्द में  हम इस प्रकार के लोगो को "बताशेबाज" कहते हैं क्योकि इनका टाईम टेबल ८० साला बुजुर्ग के दिल की तरह है जो बात बात में झटका खा जाता है, उस पर खतरा मडराने  लगता हैं, नाजुक तो  बताशे से बभी जादा.

खैर अब मुद्दे पे आते हैं, अब बात है सुबह उठने की, हो सकता है नींद न खुले, या पब्लिक आलसी हो जाए तो मुझे एक और  नुकशा सुझा है, अमल फरमाएं, शाम को  खाना के बाद सोने से पहले तीन चुटकी त्रिफला चूर्ण गरम पानी के साथ ले, और सो जाएँ, विश्वाश माने  ब्रम्हा मुहूर्त में आपके पेट में कर्बला होने लगेगा, तब  शहर के लोग सोने के  १० फीट की दुरी जा और गाँव के लोग लोटा ले दौड़ लगा दें तो  युध्ध विराम हो जायेगा, इससे आप शांति और सेहतमंद महसूस  करेंगे, साथ स्वास्थ्य लाभ भी.  सब मिला के टाइम टेबल से बेहतर है हिन्दुस्तानी त्रिफला और शौचालय, क्यों क्या कहते है  आपलोग ? 

कमल 

1 comment:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शुक्रवार के चर्चा मंच-1198 पर भी होगी!
सूचनार्थ...सादर!
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होली तो अब हो ली...! लेकिन शुभकामनाएँ तो बनती ही हैं।
इसलिए होली की हार्दिक शुभकामनाएँ!